Monday, September 27, 2010
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JAY SWARGADWARI MAHA PARVU..
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PYUTHAN DISTRICT
प्युठान जिल्ला एक परिचय
प्युठान जिल्ला नेपालको मध्यपश्चिमाञ्चल विकास क्षेत्रमा अवस्थित एक पहाडी जिल्ला हो । यस जिल्लाको पूर्वमा अर्घाखाँची र गुल्मी , पश्चिममा रोल्पा र दाङ, उत्तरमा वाग्लुङ र रोल्पा र दक्षिणमा अर्घाखाँची र दाङ जिल्ला रहेका छन । समुन्द्र सतहवाट ३०५ मीटर देखि ३६५९ मीटर सम्मको उचाइमा पहाड, पर्वत, टार, वेशी आदि रहेको यो जिल्लामा खासगरी शीत र शमशितोष्ण हावापानी पाइन्छ । विश्वमान चित्रमा प्युठान जिल्ला २७ डिग्री ५२ मिनट देखि २८ डिग्री २१ मिनट उत्तरी अक्षांश र ८२ डिग्री ३६ मीनट देखि ८३ डिग्री ३६ मीनट पूर्वी देशान्तरमा अवस्थित छ । यो जिल्ला १३२८९० हेक्टर क्षेत्रफलमा फैलीएको छ । यहाँ सामान्यतया न्युनतम १४.८ देखि अधिकतम २४.१ डिग्री सम्मको ताप र सरदर १३०० मी.मी. वार्षिक वर्षा भएको पाइन्छ । राजनैतिक विभाजन अनुसार २ निर्वाचन क्षेत्र , ११ इलाका, ४९ गा.वि.स.मा विभाजित यो जिल्लामा जनमोर्चा नेपाल, ने.क.पा. एमाले, नेपाली कांग्रेस , राष्टि्रय प्रजातन्त्र पार्टी, नेपाली कांग्रेस ( प्रजातान्त्रिक ) को प्रभाव रहेको पाइन्छ ।
पश्चिम विजय अगाडिको प्यूठानको राजनैतीक स्थिति
प्यूठान चौबिसे राज्य अन्तरगतको एउटा शक्तिशाली राज्य थियो । पृथ्वी नारायण शाहको नेपाल राज्यको स्थापना पश्चात पश्चिमको चौबिसे राज्यलाइ नेपाल राज्यमा गाभ्नु अगाडि प्यूठानको मुख्य राज्य र राजाको रुपमा भित्रिकोटमा चन्द वंशीय राजालाइ लिइन्छ । प्यूठानलाइ १४००० प्यूठान भन्ने चलन पनि थियो । प्यूठानलाइ नेपाल राज्यमा गाभ्न पाल्पा राज्यको सन्धिले सहयोग गरेको देखिन्छ । हालको सदरमुकाम खलंगालाइ नेपाली फौजीले आफ्नो केन्द्र बनाएको कुरा देखिन आउछ । भित्रिकोटका अन्तिम राजा रुद प्रताप चन्द हुन । नेपाली फौजीका प्रधान सेनापति काजी दामोदर पाण्डे , काजी जगजीत पाण्डे, तथा सरदार फौजी सिंह र वादल सिं थापाले नोभेम्वर १७८६ इश्वी सन ( कार्तिक १९, १८४३ वि. सं.) मा भित्रिकोट राज्यलाइ नेपालमा मिलाएका थिए ।
नेपाल राज्यमा गाभिएपछिको प्रशासनिक स्थिति
लडाइ सकिएपछि यस क्षेत्रको प्रशासनिक कार्यहरु मिलिसिया सैनीक प्रमुखबाट चलेको देखिन्छ हालको सदरमुकाम रहेको सम्पुर्ण क्षेत्र सेना नियन्त्रणमा थियो । खलंगामा मिलेसिया सैनिक आवास बाहेक पहिलो मन्दिर खलंगा ४ स्थित श्री रामेश्वर महादेवको मन्दिर हो । जंगबहादुरका बाजे राम कृष्ण कुंवर मेगजिन स्थापनाको सिलसिलामा प्यूठान आउदा सन् १७७१ मार्च २१ मा प्यूठान मै मृत्यु भएको थियो । रणजित कुंवरबाट नै महादेवको मन्दिर आफ्नो बुबाको सम्झनामा स्थापना गरेको देखिन्छ । पछि जङ्ग बहादुर राणा श्री ३ भएपछि रणोद्धिप सिंहको आज्ञा अनुसार आफ्नो वाजेले प्यूठान खलंगामा बनाइ वक्सेको श्री रामेश्वर महादेव मन्दिरमा २ धार्नीको घण्ट चढाइ दिनु भन्ने हुकुम भए अनुसार तत्कालीन मेगजिनका कप्तान घोलक सिं वस्न्यातले वि.सं. १९२४ कार्तिक १४ रोज १ मा चढाएको पाइन्छ । त्यस्तै खलंगग ४ स्थित सम्बत १८६१ मा बनेको अर्को घर पौवा हो । पछि हाल माल कार्यालय अगाडिको भिमसेनको मन्दिर बनेको देखिन आउँछ । मन्दिरको निमार्ण सम्बत् १८८२ मा भएको कुरा मन्दिरमा रहेको शिलापत्रमा उल्लेख छ । भिमसेनको मन्दिर संभवत: न्यायिक शक्तिको लागि, मिलियासको शक्तिको रुपमा स्थापना गरिएको अड्कल गर्न सकिन्छ । श्री रामेश्वर महादेव मन्दिरको स्थापना संगै खलंगा ४ स्थित श्री गणेश को मन्दिर पनि रणजीत कुंवरले स्थापना गरेको देखिन्छ । उक्त गुठी पत्रमा उल्लेख भए अनुसार रणजीत कुंवरले रामेश्वर महादेव १, श्री दुर्गा ज्यू १ र श्री गणेश २ स्थापना गरेको पाइन्छ र श्री ५ सुरेन्द्र विक्रम शाहबाट थप गुठी वस्सेको कुरा उल्लेख नभएकोले व्यारेकमा रहेको दुर्गा भगवती हो कि भन्ने कुरा आउछ ।(हाल प्यूठान खलंगा गुल्ममा रहेको दुर्गा भगवतीको पूजा आजाको लागि दल कम्पनीबाट नै सामाग्री खर्च प्राप्त हन्छ) । साथै तुषारा प्यूठानमा रहेको गुठी जग्गाबाट तिरो प्राप्त हुने हुदा सोहि दुर्गा भगवति भएको कुरा देखिन आउछ । मन्दिरको पूजा (आजाको लागी प्यूठान मेगजिनका कृष्ण नेवारलाइ सम्बत १८८२ मा श्रावण ८ गते पुजारी तोकी बक्सेको लालमोहरमा उल्लेख गरेको पाइन्छ । संम्बत् त्यस्तै बेला देखि खलंगा, प्यूठानमा नेवार जातीको बस्ती शुरु भएको तथ्य पनि अगाडि आँउछ । खलंगा ४ मा रणजीत कुंवर मार्फत बनेको रानी पौवाको संचालनको लागि सम्बत १८६१ भाद्र ३ रोज ६ मा नब्बे मुरी खेत लालमोहर गरि बक्सेको छ । प्यूठान खलंगा सामरिक महत्वको मात्र ठाउँ नभएर लडाइको लागि आवश्यक पर्ने वारुद, बन्दुक, तोप आदि बनाउने प्रमुख केन्द्रको रुपमा रहेको पाइन्छ । यहाँ दिनको १ नाल तयारी बन्दुक बनाउने मेगजिन थियो । मेगजिन इ. १७८६ तिर बहादुर शाहले स्थापना गर्न लगाएका थिए । मेगजिनका प्रमुख मिस्त्री शिवलाल नकर्मी भक्तपुरका थिए । उनका पुस्तौनि मिस्त्री अम्बर प्रसाद नकर्मी समेत प्यूठान गौडा अन्तरगत रहेको मेगजिनमा २०१८ साल सम्म कार्यरत रहेको देखिन्छ । वि.सं.१८७१ देखि १८७३ मा अंग्रेज नेपालको विचमा युद्ध हुंदा प्यूठानको फलाम प्रयोग गरी संगिन तोप वनाएको कुरा पाइन्छ । २०१६ साल सम्म हाल खलंगा प्यूठानमा रहेको व्यारेक क्षेत्रमा हजारौं मुरीको वारुदको भण्डार थियो । त्यस्तै बिजुवार गा.वि.स. पुण्यखोलाको सैनिक क्षेत्रभित्र लगभग ५ हजार मुरी वारुदको भण्डार थियो । खलंगा प्यूठानको जिल्ला कार्यालय देखि प्रहरी कार्यालय सम्मको सबै माटो, कालो देखिनु वारुद तोप बनाउने कारणले हुन सक्छ । यहाँ प्रशस्त मात्रामा बन्दुक तथा पचासौं संख्यामा तोपको नाल थियो । वि.सं. १९१५ सालमा कप्तान धोलक सिं वस्न्यात मार्फत प्यूठान मेगजिनमा बनाएको १४६ धार्नीको बम अद्यापि खलंगा प्यूठान (व्यारेक) मा सुरक्षित छ । यस प्रकार खलंगा प्यूठानमा पश्चिम विजयको लागि र अंग्रेजसंगको युद्धको निमित्त आवश्यक वारुद, शस्त्र निमार्णको केन्द्र र भण्डार समेत भएको स्पष्ट हुन्छ । प्यूठानको पश्चिमको विजयमा भवानी वक्स गुल्म, श्री नाथ, रामदल, नयाँ श्री नाथ आदि कम्पनीले लडाइमा भाग लिएको देखिन्छ । मिलेसिया सैनीकले गुरुजुपल्टनको जस्तो कालो भोटो, सुरुवाल र कालोफेटा प्रयोग गरेको पाइन्छ युद्ध सामाग्रीको निर्माण स्थल तथा भण्डार र मिलिसिया सैनिकको वसोवास मात्र रहेको खलंगामा प्यूठानमा लडाइ पछि अस्थायी रुपमा झुपडी बनाइ बन्द व्यापारको लागि आइ बसेको, नेवार जातिका महाजनहरुलाइ अस्थायी घरलाइ पक्की स्थायी घर बनाउन आवश्यक हुदैं गएपछि पक्की घर बनाइ बजार विस्तार गरी पाउँ भनी सम्बत् १८९० मा काजी कीर्तिध्वज पाण्डे मार्फत र सम्बत् १८९७ मा सर्दार रणभद्र वस्न्यात मार्फत महाराजाधिराजमा जाहेर हुँदा अमालिबाट झिगटी ल्याइ आफु बस्ने घर पक्का बनाउन इजाजत प्राप्त भएको र सो बेला सबै काम मिलिसिया सैनिक प्रमुखबाट हुने गरेको देखिन्छ । नेपालमा जङ्ग बहादुर राणाको उदय पछि २००७ साल भन्दा अगाडि सम्म यो जिल्ला पाल्पाको कमाण्डीङ अन्तरगत पर्दथ्यो । त्यसै बेला जिल्लालाइ प्रशासकीय रुपमा ६ थुनामा बांडीएको पाइन्छ ।
जनसंख्या विवरण
वि.स. २०५८ सालको राष्टि्रय जनगरणा अनुसार यस जिल्लाको कुल जनसंख्या २,१२,४८४ रहेको छ । जसमध्ये १,१४,०९४ जना महिला र ९८,३९० जना पुरुष छन । कुल ४०,२६३ घरधुरी रहेका छन । सरदर परिवार संख्या ५.२८ जना र जनघनत्व २.१२ प्रति वर्ग कि.मी. तथा हालको जनसंख्या वृद्धिदर २.१२ प्रतिसत रहेको छ ।
मुख्य वोलिने भाषाहरु
जिल्लामा मातृभाषाको रुपमा वोलिने मुख्य भाषाहरुमा नेपाली १,९०,१७३ जना ( ८९.५ प्रतिसत ), मगर १९,१२४ जना ( ९ प्रतिसत ), नेवार ३१८७ जना ( १.५ प्रतिसत ) रहेका छन ।
जनजाती विवरण
जिल्लामा सवभन्दा धेरै मगर/गुरुङ जाती ६६१६७ जना (३१.१४ प्रतिसत) रहेका छन । त्यसपछि क्षेत्री ५१,७४० जना ( २४.३५ प्रतिसत ), वाहुन २८,३०३ जना (१३.३२ प्रतिसत), सुनार कामी २७,९४२ जना (१३.१५ प्रतिसत ), अन्य ३८,३३२ जना ( १८.०४) रहेका छन ।
जनजीवन
धार्मिक हिसावले यहाँ मुख्यतया हिन्दुहरु वढी छन । वौद्ध इस्लाम, धर्म मान्नेहरु पनि केही मात्रामा पाइन्छन । जातीगत रुपमा क्षेत्री, वाहुन, मगर, गुरुङ, नेवार, सार्की, गाइने, वादी, कुमाल, धामी आदी जातका मानिसहरु एउटै घर्म भाषा संस्कृती भित्र रहेर विभिन्न समूहमा वसेका छन । सामान्यतया लेक, डाँडाकाँडामा मगर, गुरुङ, वेशी समथर उर्वरा भूमीमा क्षेत्री, वाहुन, कामी, सार्की र व्यापारिक नाका केन्द्रहरुमा नेवारहरुको वस्ती वढी छ ।
यातायात
पूर्व पश्चिम राजमार्गको भालुवाङवाट पूर्व उत्तर दरवान, वडडाँडा, चकचके, विजुवार, वाग्दुला हुदै सदरमुकाम खलंगा जाने ७२ किलोमीटर सडक बर्षभरी नै वस सञ्चालन हुने कच्ची वाटोको रुपमा निर्माण भैसकेको छ । चकचके देखि भिंग्री हुदै रोल्पा तर्फ वस सेवा संचालन भएको छ । सहायक मार्गको रुपमा वाग्दुलावाट मच्ची गौमुखी हुदै गुल्मी जाने ४७ किलोमीटर सडक निर्माण भैरहेको छ भने वाग्दुलावाट दम्ति, वहाने हुदै स्याउलीवाङ सम्म जाने ४५ किलोमीटर सडकको निर्माण कार्य जारी छ । त्यसरी नै खलंगा जोगीटारीको २१ किलोमीटर सडकलाइ अर्घाखाँची जोडने कार्य अगाडी वढीरहेको छ । चेरनेटावाट खैरा हुदै खलंगा जोडने १४ कि.मी. वाटो पनि करीव सम्पन्न भैसकेको छ । जिल्ला स्थित अन्य वाटाहरुको पनि निर्माण कार्य भैरहेको छ ।
पूलहरु
वि.वि.एल.एल. मार्फत यस जिल्लामा झोलुङ्गे पुल निर्माण गर्ने कार्य तीव्र रुपमा अगाडी वढेको छ । २०५० साल देखि हालसम्म ३७ वटा झोलुङ्गे पुलहरुको निर्माण कार्य सम्पन्न भैसकेको छ । आ.व. २०६१/२०६२ मा थप १० वटा पुलहरु एघारौ जिल्ला परिषदले निर्माणको लागि छनौट गरेको छ ।
भु–वनावट
जिल्लाको दक्षिणी भाग चुरे क्षेत्र, पश्चिमी भाग महाभारत क्षेत्र पर्दछ भने उत्तरी भुभाग मध्य–हिमाल क्षेत्रमा पर्दछ । यस जिल्लाको चट्टानहरुमा फाइलाइट, डोलामाइट, स्लेट, चुन ढुंगा, क्वार्जाइट आदि पर्दछन भने वलौटे, दोमट र चिम्लाइलो प्रकारको माटो वढी मात्रामा पाइन्छ ।
भू–उपयोग
जिल्लाको कुल क्षेत्रलाइ उपयोगको हिसावले हेर्ने हो भने खेती योग्य जमिन २८,१७१ हेक्टर ( २२ प्रतिसत ) , वन जंगल ७२,६९४ हेक्टर ( ५६ प्रतिसत ), चरन २७,७८९ हेक्टर ( २२ प्रतिसत रहेको छ ।
नदी नालाहरु
यस जिल्लाको मुख्य नदीहरुको रुपमा भिमरुक र माण्डवी ( माडी ) रहेका छन । यी नदीहरुको सहायक नदीहरुमा भिमरुक अन्तर्गत लुङखोला, गर्तङखोला, चुदरी खोला, जुम्री खोला, काँतरे खोला, खप्रङ खोला, हरिया खोला, पतेरे खोला, छापे खोला आदी रहेका छन भने माण्डवी नदी अन्तरगत धनवाङ, अरुण, गोठीवाङ, वायखोला आदी सहायक खोला पर्दछन । भिमरुक खोलामा धेरै फाँटहरु रहेका छन जस्तै विजुवार दाखा फाँट, वाग्दुला फाँट, वरौला फाँट, मरन्ठाना फाँट, अर्गलीफाँट, चिसावाङ फाँट, रातटारी फाँट, गर्तङ फाँट आदी रहेका छन भने माण्डवीमा तुलनात्मक रुपमा अति नै कम फाँटहरु रहेका छन । चिदीबास फाँट, हंसपुर फाँट, माझीदमार भिग्रीफाँट आदी फाँटहरु रहेका छन ।
शैक्षिक अवस्था
जिल्लाको शैक्षिक अवस्थालाइ हेर्दा महिलाको तुलनामा पुरुष धेरै अगाडी भएको पाइन्छ । जिल्लाको कुल साक्षरता ४७.४ प्रतिसत रहेको छ जसमा ६२.४ प्रतिसत र महिला साक्षरता ३४.०२ प्रतिसत छ । जिल्लामा एक मात्र अस्थाथी क्याम्पस विजुवार पुण्यखोला अवस्थित छ । एक उच्च माध्यमिक विद्यालय, ३१ माध्यमिक विद्यालय, ३४ निम्न माध्यमिक विद्यालय र २३३ प्राथमिक विद्यालय विभिन्न स्थानमा रहेका छन ।
स्वास्थ्य तर्फ
जिल्ला स्वास्थ्य कार्यालय १, जिल्ला अस्पताल १, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र २ , स्वास्थ्य चौकी ११, उपस्वास्थ्य चौकी २९, आयुर्वेद औषधालय ३ संचालित छन ।
संचार तर्फ
जिल्लामा संचारका लागि पि.सि.ओ. २४, व्यक्तिगत टेलिफोन २८१, कार्यालय टेलिफोन ७८, भिसेट २ गरी जम्मा ३८५ टेलिफोन सेवा उपलव्ध छन ।
हुलाक तर्फ
जिल्ला हुलाक १, इलाका हुलाक १०, अतिरिक्त हुलाक ३८, हुलाक प्रतिनिधि ३८, पत्र वितरक ३३, पत्र वाहक ४६ रहेका छन ।
वन तर्फ
जिल्ला वन कार्यालय १, इलाका वन कार्यालय १, रेञ्ज पोष्ट ८, सामुदायिक वन संख्या २८०, सामुदायिक वन क्षेत्र २,४९?४४.५ हेक्टर छ । जिल्लाको कुल वन क्षेत्रफल ७२,६९४.३ हेक्टर रहेको छ ।
विद्युत तर्फ
जिल्लामा विद्युत सेवा दिने श्रोतहरु झिमरुक जलविद्युत केन्द्र ( जिल्ला भित्र नै उत्पादीत विद्युत केन्द्र हो ।) र नेपाल विद्युत प्राविधिकरण रहेका छन । झिमरुक जल विद्युत केन्द्र मार्फत ११ गा.वि.स. र नेपाल विद्युत प्राविधिकरण मार्फत १७ गा.वि.स.गरी जम्मा २८ गा.वि.स.मा आंशििक विद्युतीकरण भएको छ ।
धार्मिक तर्फ
जिल्ला स्थित धार्मिक तथा पर्यटकीय स्थलहरुमा देश भित्र र वाहिर सम्म चर्चित भएको तिर्थ तथा पर्यटकिय स्थल स्वर्गद्धारी यसै जिल्लाको स्वर्गद्धरीखाल गा.वि.स.मा पर्दछ । त्यस पछि एरावती, गौमुखी, कालिका मन्दिर, झाकिरिस्थान, विजुलीकोट, वरौलाकोट, जावुने दह आदी स्थलहरु तिर्थ स्थलको रुपमा प्रसिद्ध छन ।
पर्यटकिय स्थल
जिल्ला स्थित पर्यटकिय स्थलहरुमा स्वर्गद्धारी, एरावती, गौमुखी, मल्लरानी, भित्रीकोट, विजुलीकोट आदी स्थलहरु पर्यटकिय स्थलको रुपमा परिचित छन ।
खलंगाका जात्राहरु
डल्ले सराँए
लुङको देवाली
प्युठान जिल्लाका मठ मन्दिरहरु
खलंगा शिवालय मन्दिर
प्युठान खलंगा सिकुवा डाँडामा अवस्थित रामेश्वर महादेवको मन्दिर स्थापना पुर्व पौवा वनेको थियो । अनुश्रीत अनुसार इशाको पन्ध्रौ सताव्दी तिर जय मल्ल नामक राजाले पाटी पौवा चौतारी वनाइ गुठी राखि दिएका थिए । सिकुवा डाँडाँमा पौवा स्थापना गरी अक्षय तृतियाको दिनमा भोज भत्यार खुवाउन र नित्य पुजाको निम्ति ९०० मुरी खेत गुठी राखेकोमा यसैवाट कट्टी गरी शिवालय गुठी राखियो । वि.स. १८६१ को रुक्का पत्रमा यसको गुठी वारे उल्लेख छ । मन्दिरमा नित्य पुजा आजा गर्दा वजाइने नगरा , रासा, धोपा आदिको व्यवस्था गर्न वैशाख महिनाभर वटुवाको लागि सर्वत खुवाउन र जात्रा खर्चको समेत स्थानिय जनताहरुलाइ उछाउनी, पछाउनी, झारा, वेगारी नलागोस भनी ३५० मुरी जग्गा गुठी राखिएको थियो । यहाँ विभिन्न भक्तजनहरुले विभिन्न वस्तुहरु चढाउने क्रममा वि.स. १९२४ को हुकुम मर्जी वमोजिम कप्तान धोलक सिं वस्नेतले घण्टा चढाएका थिए । यहाँको प्यागोडा शैलीको मन्दिर वर्गाकारको जगातीमा आधारित छ । एकतले तथा दुइ छाने यस मन्दिरको आधारको आधार पेटीका भु सतह देखि करीव २ फिटको उचाइमा छ । स्थानिय भेगमा पाइने काठ, ढुंगा, टायल तथा धातुको उपयोग गरी वनाइएको यस मन्दिरको वरीपरी कलात्मक काठको स्तम्भवली छन । यसको वरण्डा नै प्रदक्षिण पथको रुपमा प्रयोग गरिएको छ भने पुर्व र पश्चिम पट्टी प्रवेशद्धार, उत्तर र दक्षिण पट्टी आँखी झ्यालहरु छन । काठमाण्डौ उपत्यकाका अधिकांश शिवालयहरुको चारैतिर प्रवेशद्धार हुन्छन भने यसको आफ्नै विशेषता छ । पूर्वपट्टीको प्रवेशद्धारको दायाँ वायाँ भित्तामा भैरव तथा पार्वतीका मुर्ति राखिएका छन । दुवै छाना टायलले छाइएको यस मन्दिरको माथिल्लो पट्टी कलात्मक गजुर छ । माथिल्लो तलाको झ्याल पनि सामान्य छ भने तोरण तथा टुँडालहरुमा कलात्मक आकृतीहरु अंकित गरिएका छन । मन्दिरको गर्भगृहमा शिवलिंग स्थापना गरी वरिपरि प्रस्तुत मुर्ति तथा साँढेको आकृति वनाइएको छ । यो मन्दिर आधुनिक कलाको कलात्मक कृति भए पनि पुरानो शैली र ढाँचा जगेर्ना गरेको हुँदा वास्तुकलाको दृष्टिले महत्वपुर्ण छ ।
खलंगा भिमसेन मन्दिर
नेवारहरुको वाहुल्यता भएको खलंगा तथा विजुवार वजारमा भिमसेनका कलात्मक एवं आकर्षक प्यागोडा शैलीका मन्दिरहरु छन् । खलंगाको भीमसेन मन्दिरको गर्भगृहमा शास्त्रीय आख्यान अनुकूलका प्रस्तर मूर्ति र यसको आपसमा काठ ढुङ्गाका मूर्तिहरु पनि रहेका छन्। । स्थानीय भक्तजनहरुले यी मुर्तिहरुलाइ भीमसेनका दाजु भाइ भन्दछन् । मुर्तिमा भीमसेनलाइ उभिएको आकृतिमा तरवार र ढाल लिएको देखाइएको छ । दुइ तले पूर्व पट्टि प्रवेशद्धार भएको यो मन्दिरको तल्लो तल्लामा गर्भ गृह छ भने प्रदक्षिणको निमित्त सामान्य आधार पेटिका वनाइएको छ । एउटा मात्र प्रवेशद्धार भए पनि कलात्मक दृष्टिले विशेष उल्लेखनिय छ । यसको माथिल्लो पट्टी अर्ध चन्द्रकारको तोरणले फुल वुट्टा पशु पंछी तथा भयावह आकृती अंकित गरी तान्त्रिक प्रभावको प्रतिनिधित्व गरेको छ । यसको पुजा आजा जनसाधारणवाट हुदै आएकोमा वि.स. १८८२ मा धोवाघाट बाँझवारी र काफलवोटमा ४५ मुरी खेत गुठी राखिएको थियो ।
खलंगा गणेश मन्दिर
खलंगा वजारमा अवस्थित गणेशको मन्दिरको जगती वर्गाकारको छ । भु सतह देखि १ फीट माथि अवस्थित यो मन्दिर एक तले तथा दुइ छाने प्यागोडा शैलीमा आधारीत छ । मन्दिरको तल्लो तहको दक्षिण पट्टी भित्तामा एउटा ढोका र पुर्व पश्चिममा दुइवटा आँखि झ्यालहरु वनाइएका छन । यसको तोरणमा धातुको जलप वनाइ कलात्मक एवं आकर्षक वुट्टा सहित सजाइएको छ । मुलद्धारको माथिल्लो पट्टी पित्तलको कलात्मक तथा आकर्षक गजुर वनाइएको छ । यसको गर्भ गृह उत्तर पट्टी अवस्थित गणेशको प्रस्तर मुर्तिकाल क्रममा निकै खिर्इएको छ । यहाँ भिमसेनको प्रस्तर मुर्ति पनि देखिन्छ । यसको संचालन तथा मर्मत संभारको निम्ति गुठी राखिएको छ ।
निर्मलनाथको मन्दिर
दाखाक्वाडीमा अवस्थित निर्मलनाथलाइ प्युठानी राजा पृथ्वीपति शाहले गुठी दिइ ताम्रपत्र वनाइ दिएका थिए । वि.स. १७६० मा यसलाइ खोलाखेत एकसय मुरी र डिहीवारी समेत गुठी दिइ कसैले अवरोध खडा नगरोस भनी ताम्रपत्र वनाइ दिएका थिए । यहाँ अवस्थित प्यागोडा शैलीको मन्दिर स्थानिय काठ, ढुंगा, टायल आदी भौतिक सामाग्रीहरुको संयोजनले वनाइएको छ । वर्गाकारको जगती माथि अवस्थित यस मन्दिरको पश्चिम पट्टि मूल प्रवेशद्धार छ । वर्गाकारको जगती माथि अवस्थित सामान्य शैली र ढाँचामा आधारीत देखिन्छ । यसका दुइ छाना टायलले छाइ बीचमा माटोको गजुर राखिएको छ । यसको तोरण र टुँडालहरु सादा र सामान्य छन । यसको गर्भगृहको विचमा योगी निर्मलनाथको र छेउमा शिष्यको समाधि र त्यसको उत्तर पुर्व कुनामा भैरवको मुर्ति राखिएको छ । काठमाण्डौ उपत्यकाका भैरव आदि केही तान्त्रिक देवताहरुको केही मन्दिरहरुमा आयतकार पनि छन त्यस्ता मन्दिरमा मुर्ति माथिल्लो तलामा राखि तल्लो तलामा वस्ने स्थान वनाएको देखिन्छ । तर यस थानको समाधि र कुनामा चलायमान भैरवको मुर्ति छ । भैरवको उल्लेख भने एतिहाँ
Gold
Jewelry and Collections
From ancient times to present day, gold jewelry has been a popular form of self-expression. It's always in style. Classic. Timeless. And today there are more ways than ever to express your personal style in this beautiful and versatile metal.Although you can't necessarily tell from its finished appearance, gold is really quite pliable. It can be worked into practically any shape the designer chooses. But because it is also so durable, the finished shaped, with a little care, will sustain its beauty and bring you years of pleasure.
Types of Gold
Are you…the life of the party…the rising star in your office…the sport fan…the book-lover. More than likely, at one time or another, you're all of the above. So you'll want to build a gold jewelry wardrobe to suit your various activities, moods and whims. Something daring and dangly for evenings out. Classic, conservative styles for work. Maybe your favorite team logo earrings for the baseball game. Something sentimental for quiet evenings at home.At the end of the day, you're the expert on what makes you shine. From necklaces to bracelets, rings to earrings, your choices are more plentiful today than ever before. More choices mean more opportunity to find something that suits you perfectly.
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Intimate, precious & individual, the metal of the moment, has become the face of modern glamour. Capturing gold’s beauty in luxe-look finishing touches set to thrill and inspire, the message is glinting gold, on-trend eclectic.
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